SEBI का बड़ा फैसला: अब डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में क्यों लगेगी सक्ती? जानें नए प्रस्तावों का असर

SEBI का नया मूव: डेरिवेटिव्स मार्केट में कस रही है शिकंजा

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में ज्यादा सट्टेबाजी रोकने के लिए नए प्रस्ताव पेश किए हैं। इनमें सबसे बड़ा बदलाव है “ओपन इंटरेस्ट” (OI) की गणना का नया तरीका। अब OI को “नोशनल वैल्यू” के बजाय “फ्यूचर इक्विवेलेंट (FutEq)” या “डेल्टा एप्रोच” से मापा जाएगा।

डेरिवेटिव्स क्या होते हैं?

  • ये कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं, जहां निवेशक किसी शेयर या इंडेक्स को भविष्य में तय कीमत पर खरीदने/बेचने का समझौता करते हैं।
  • उदाहरण: अगर आपको लगता है कि 3 महीने बाद रिलायंस का शेयर ₹3000 हो जाएगा, तो आप उसकी “फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट” खरीद सकते हैं।

क्यों बदल रहा है SEBI का नियम?

वर्तमान में, OI को नोशनल वैल्यू (कॉन्ट्रैक्ट की कुल कीमत) के आधार पर मापा जाता है। SEBI का मानना है कि इससे मार्केट में हेराफेरी की गुंजाइश बनी रहती है:

  1. बैन पीरियड का गलत फायदा: बड़े प्लेयर्स जानबूझकर OI को 95% तक पहुंचा देते हैं, ताकि स्टॉक पर ट्रेडिंग बैन लगे और कीमतों में उछाल आए।
  2. रिस्क का ठीक से आकलन न होना: नोशनल वैल्यू से असली जोखिम छिप सकता है।

नए फॉर्मूले का मतलब:

  • FutEq: OI को अब इस आधार पर मापा जाएगा कि कोई कॉन्ट्रैक्ट अंडरलाइंग एसेट (जैसे शेयर) के साथ कितना मूव करता है।
  • डेल्टा एप्रोच: यह बताता है कि ऑप्शन की कीमत में अंडरलाइंग एसेट की कीमत के हिसाब से कितना बदलाव आएगा।

सरल भाषा में:
अगर कोई ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट शेयर की कीमत में 1% बदलाव पर 0.5% चलता है, तो उसका डेल्टा 0.5 होगा। FutEq इसी डेटा का इस्तेमाल करेगा।


निवेशकों पर क्या पड़ेगा असर?

  1. ट्रेडिंग बैन का नया नियम: अब स्टॉक्स पर बैन लगाने का फैसला FutEq के आधार पर होगा, जिससे हेराफेरी कम होगी।
  2. रियल-टाइम डेटा: SEBI ने सुझाव दिया है कि निवेशकों को F&O ओपन इंटरेस्ट की लाइव अपडेट मिलें, ताकि वे बेहतर फैसले ले सकें।
  3. छोटे निवेशकों का फायदा: पिछले 3 साल में 93% रिटेल ट्रेडर्स को F&O में नुकसान हुआ है। नए नियमों से जोखिम कम होने की उम्मीद।

SEBI का पिछला रिकॉर्ड:

  • अक्टूबर 2024 में, SEBI ने F&O ट्रेडिंग के लिए मिनिमम इन्वेस्टमेंट बढ़ाया और वीकली एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट्स को कम किया।
  • जनवरी 2025 में, SEBI अधिकारी ने कहा था कि अब और प्रतिबंधों की कोई योजना नहीं है। लेकिन नए प्रस्तावों से लगता है कि सख्ती जारी रहेगी।

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निवेशकों के लिए सलाह:

  • समझकर ट्रेड करें: डेरिवेटिव्स कॉम्प्लेक्स इंस्ट्रूमेंट्स हैं। इन्हें समझे बिना ट्रेड न करें।
  • रिस्क मैनेजमेंट: स्टॉप-लॉस और पोजीशन साइजिंग का इस्तेमाल जरूर करें।
  • एक्सपर्ट की राय लें: अगर नए नियम समझ न आएं, तो फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।

(सावधानी: यह लेख सिर्फ जानकारी देने के लिए है। डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग हाई रिस्क वाली है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च जरूर करें।)


क्यों है ये मुद्दा अहम?

  • भारत में F&O ट्रेडिंग का टर्नओवर 2024 में ₹9,000 लाख करोड़ को पार कर गया।
  • SEBI के आंकड़ों के मुताबिक, रिटेल निवेशकों की संख्या पिछले 5 साल में 500% बढ़ी है।
  • नए नियमों से मार्केट को स्टेबल रखने और छोटे निवेशकों को सुरक्षा देने का लक्ष्य है।

नोट : यह जानकारी internet  पर दी गई जानकारी के माध्यम से ली गई है। Source

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