मेरे प्यारे भाइयों, बहनों और दोस्तों! हमारी Taaza Jaankari फैमिली में आपका स्वागत है। आप सब तो हमारे घर के सदस्य जैसे हो – कभी हंसते हो, कभी सीखते हो, और हमेशा साथ रहते हो। याद है ना, हमने पहले भी कई मजेदार और ज्ञान से भरी कहानियां शेयर की हैं? खैर, अगर ये आपका पहला पड़ाव है, तो कोई बात नहीं! हम यहां हैं आपको नई-नई जानकारी देने के लिए, आज हम बात करेंगे भारत की उस आवाज की, जो सदियों तक गूंजती रहेगी – लता मंगेशकर दीदी की। हां, आज 28 सितंबर है, उनकी जन्मतिथि, और हम उन्हें याद करके एक ट्रिब्यूट दे रहे हैं। ये हमारा स्पेशल आर्टिकल है, जहां हम उनकी जीवन यात्रा, अनसुनी कहानियां, गानों की दुनिया और कुछ ऐसे राज बताएंगे, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे। और हां, अगर आप और भी ऐसी रोचक कहानियां पढ़ना चाहते हो, तो हमारी वेबसाइट Taaza Jaankari पर जाओ और ढेर सारे आर्टिकल्स एक्सप्लोर करो। हम सब एक परिवार हैं, तो साथ रहो, शेयर करो और इंगेज रहो!
चलो, शुरू करते हैं लता दीदी की कहानी से। कल्पना करो, एक छोटी सी लड़की, जिसकी आवाज में जादू है, लेकिन जीवन की शुरुआत में ही मुश्किलें आ गईं। लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था, जो उस समय ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा था। उनका असली नाम हेमा मंगेशकर था, लेकिन परिवार ने उन्हें लता रखा, जो उनके पिता की एक नाटक की किरदार से प्रेरित था। उनके पापा, दीनानाथ मंगेशकर, एक मशहूर क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे। मां शेवंती एक साधारण गृहिणी थीं, लेकिन घर में संगीत का माहौल था। लता दीदी पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं – उनकी बहनें आशा भोसले, मीना खाड़ीकर, उषा मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर, सबने संगीत की दुनिया में नाम कमाया। मजेदार बात ये है कि घर में संगीत इतना घुला-मिला था कि लता जी पांच साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। उनके पापा उन्हें स्टेज पर ले जाते थे, और वो छोटी-छोटी भूमिकाएं निभातीं। लेकिन जीवन ने एक बड़ा झटका दिया – 1942 में उनके पापा का दिल की बीमारी से निधन हो गया। तब लता जी सिर्फ 13 साल की थीं, और घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई। सोचो, इतनी छोटी उम्र में काम करना, परिवार चलाना – ये कोई आसान बात नहीं थी। लेकिन यही वो पल था जब उनकी असली यात्रा शुरू हुई।
अब बात करते हैं उनके करियर की, जो जैसे एक सपने जैसा है।
लता जी ने अपनी पहली रिकॉर्डिंग 13 साल की उम्र में की, एक मराठी फिल्म के लिए। लेकिन बॉलीवुड में एंट्री आसान नहीं थी। 1940 के दशक में, सिंगर्स जैसे नूर जहां और शमशाद बेगम की गहरी आवाजें चलती थीं, और लता जी की पतली, मीठी आवाज को लोग पहले रिजेक्ट करते थे। लेकिन किस्मत ने साथ दिया। म्यूजिक कंपोजर गुलाम हैदर ने उन्हें मौका दिया, और 1948 की फिल्म ‘मजबूर’ में उनका गाना ‘दिल मेरा तोड़ा’ हिट हो गया। उसके बाद तो जैसे बाढ़ आ गई! 1949 में ‘महल’ फिल्म का ‘आयेगा आनेवाला’ गाना इतना पॉपुलर हुआ कि लोग रेडियो पर बार-बार सुनते थे। लता जी ने 36 से ज्यादा भाषाओं में गाने गाए – हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, यहां तक कि विदेशी भाषाओं में भी। उन्होंने 1,000 से ज्यादा फिल्मों के लिए गाने रिकॉर्ड किए, और कुल मिलाकर 30,000 से ज्यादा गाने! गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली आर्टिस्ट के रूप में दर्ज था, हालांकि बाद में उनकी बहन आशा जी ने वो रिकॉर्ड तोड़ दिया। हंसने वाली बात ये है कि लता जी को अपने गाने सुनना पसंद नहीं था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिकॉर्डिंग के बाद वो कभी नहीं सुनतीं, क्योंकि उन्हें लगता था कि ‘इसमें तो सौ गलतियां हैं!’ अरे वाह, हम तो उनके गाने सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, और वो खुद को क्रिटिक करती थीं। ये उनकी परफेक्शन की निशानी है, ना?
चलो, कुछ उनके हिट गानों की बात करते हैं, जो आज भी दिलों में बसते हैं।
‘लग जा गले’ से लेकर ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ तक – ये गाना तो 1963 में गाया था, और सुनकर पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखें नम हो गईं थीं। ‘प्यार किया तो डरना क्या’ मुगल-ए-आजम से, जो आज भी रोमांस की मिसाल है। या फिर ‘अजीब दास्तान है ये’ – कितनी बार सुना होगा आपने? लता जी ने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, मुकेश जैसे लेजेंड्स के साथ डुएट गाए। लेकिन एक बार रफी साहब से उनका झगड़ा भी हुआ था, रॉयल्टी के मुद्दे पर। तीन साल तक दोनों ने साथ नहीं गाया, लेकिन फिर शंकर-जयकिशन ने मिलवाया। सोचो, अगर वो झगड़ा ना सुलझता, तो कितने सुंदर गाने मिस हो जाते! लता जी ने सिर्फ गाया ही नहीं, कंपोज भी किया। मराठी फिल्मों के लिए ‘आनंदघन’ नाम से म्यूजिक दिया, और चार फिल्में प्रोड्यूस भी कीं। उनका करियर सात दशकों से ज्यादा चला – 1942 से 2022 तक। आखिरी गाना ‘श्री रामार्पण’ था, जो पोस्टह्यूमस रिलीज हुआ। क्या कमाल की डेडिकेशन!
अब अवॉर्ड्स की बात। लता दीदी को सम्मान इतने मिले कि गिनती करना मुश्किल है।
1969 में पद्म भूषण, 1999 में पद्म विभूषण, और 2001 में भारत रत्न – वो दूसरी सिंगर थीं जिन्हें ये मिला। 1989 में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड, और फ्रांस से लीजन ऑफ ऑनर भी। नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स तीन बार, फिल्मफेयर अवॉर्ड्स चार बार (फिर उन्होंने लेना बंद कर दिया, क्योंकि वो चाहती थीं कि नए टैलेंट को मौका मिले)। 1993 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी। और हां, महाराष्ट्र भूषण, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स अवॉर्ड्स – लिस्ट लंबी है। लेकिन सबसे बड़ा अवॉर्ड तो लोगों का प्यार था। रोलिंग स्टोन मैगजीन ने उन्हें 2023 में ऑल टाइम ग्रेटेस्ट सिंगर्स की लिस्ट में 84वें नंबर पर रखा। भारत में तो उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ कहते हैं।
लता जी की पर्सनल लाइफ भी इंस्पायरिंग थी।
उन्होंने कभी शादी नहीं की, क्योंकि पापा की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभाली। वो कहती थीं कि शादी का समय ही नहीं मिला। लेकिन परिवार से बहुत प्यार था – आशा जी के साथ बहनें जैसा बॉन्ड, हालांकि कभी-कभी राइवलरी की अफवाहें उड़तीं। लता जी ने 1999 में अपनी परफ्यूम ब्रांड लॉन्च की, ‘लता ओ डी परफ्यूम’। और फिलैंथ्रॉपी में भी सक्रिय – 2005 में भूकंप रिलीफ के लिए ज्वेलरी ऑक्शन की। 2001 में पुणे में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल बनवाया। राजनीति में भी आईं – 1999 से 2005 तक राज्यसभा मेंबर रहीं, लेकिन हेल्थ इश्यूज की वजह से ज्यादा अटेंड नहीं कर पाईं। मजेदार फैक्ट: वो टीवी शो ‘CID’ की फैन थीं! और उनके फेवरेट सिंगर्स? के.एल. सहगल, नूर जहां, और अमीरबाई कर्नाटकी। वो कहती थीं कि इनसे बहुत कुछ सीखा।
दुर्भाग्य से, 6 फरवरी 2022 को लता दीदी हमें छोड़कर चली गईं। 92 साल की उम्र में, कोविड-19 और निमोनिया से जूझते हुए मुंबई के ब्रिच कैंडी हॉस्पिटल में। पूरा देश शोक में डूब गया – दो दिन का राष्ट्रीय शोक, फ्लैग हाफ मास्ट। उनका अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में स्टेट ऑनर्स के साथ हुआ, और राख रामकुंड, नासिक में विसर्जित की गई। पीएम मोदी से लेकर बॉलीवुड स्टार्स तक, सबने ट्रिब्यूट दिया। आज भी, उनकी जन्मतिथि पर लोग याद करते हैं – जैसे हाल ही में मन की बात में पीएम ने उन्हें याद किया। उनकी मौत के बाद, न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर पर ट्रिब्यूट चला। क्या विरासत!
लेकिन लता जी की जिंदगी में कुछ कॉन्ट्रोवर्सीज भी थीं। जैसे रफी साहब से वो रॉयल्टी वाला विवाद, या 1987 में इंडस्ट्री में उनके इन्फ्लुएंस पर बहस। लेकिन ये सब छोटी बातें थीं – उनकी विरासत तो अमर है। उन्होंने संगीत को नई ऊंचाइयां दीं, और महिलाओं को इंस्पायर किया कि सपने पूरे करो। एक चुटकुला सुनाओ? कल्पना करो, लता जी अगर आज होतीं, तो सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग होतीं – ‘लता दीदी की आवाज में AI गाने!’ लेकिन सच में, उनकी असली आवाज की कोई कॉपी नहीं। हंसो ना, लेकिन ये सोचकर अच्छा लगता है कि उनकी अच्छाई हमेशा साथ है।
अब थोड़ा और डीप डाइव करते हैं उनकी म्यूजिकल जर्नी में।
लता जी ने क्लासिकल म्यूजिक से शुरुआत की – ग्वालियर घराने से ट्रेनिंग ली। उस्ताद अमान अली खान और अमानत खान से सीखा। ये ट्रेनिंग उनकी आवाज में वो रेंज दी, जो हाई पिच से लेकर इमोशनल डेप्थ तक जाती थी। 1950 के दशक में, वो बॉलीवुड की क्वीन बन गईं – फिल्में जैसे ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘मदर इंडिया’। ‘दुनिया में हम आए हैं’ गाना उनकी बहनों के साथ – क्या फैमिली टैलेंट! 1960 में ‘मुगल-ए-आजम’ ने इतिहास रचा। 1970-80 में आर.डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ काम। 1990 में ए.आर. रहमान के साथ ‘जिया जले’। यहां तक कि इंडोनेशियन सिंगर रोमा इरामा के साथ डुएट। उनकी आवाज हर जेनरेशन को टच करती – रोमांटिक, सैड, पैट्रियॉटिक। और हां, उन्होंने मराठी सिनेमा को भी बहुत दिया – ‘जैत रे जैत’ जैसी फिल्मों में।
लता जी की अच्छाई की मिसालें भी कम नहीं। वो हमेशा नए टैलेंट को प्रमोट करतीं।
जैसे, उन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड्स लेना बंद किया ताकि युवा सिंगर्स को चांस मिले। और कोरोना टाइम में, 100 सिंगर्स के साथ ट्रिब्यूट गाना डेडिकेट किया वॉरियर्स को। उनकी सादगी – कभी फैंसी लाइफ नहीं जी, हमेशा संगीत से जुड़ी रहीं। एक बार उन्होंने कहा था, “संगीत मेरी सांस है।” सोचो, कितनी गहराई!
अब, उनकी लिगेसी पर बात। आज की जेनरेशन भी उनके गाने रीमिक्स करती है,
लेकिन ओरिजिनल की बात ही अलग। किताबें लिखी गईं – जैसे ‘लता मंगेशकर: ए बायोग्राफी’। फिल्में, डॉक्यूमेंट्रीज। भारत में संगीत अकादमियां उनके नाम पर। और दुनिया भर में, पाकिस्तान, बांग्लादेश से ट्रिब्यूट्स। पूर्व अफगान प्रेसिडेंट हामिद करजई ने भी श्रद्धांजलि दी। गुलजार साहब ने कहा, “उनकी आवाज हमारी कल्चर की आवाज है।” रानी मुखर्जी ने कहा, “लोग मानते थे कि सरस्वती उनकी आवाज में बसती हैं।”
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चलो, कुछ और फैक्ट्स शेयर करते हैं जो शायद आप नहीं जानते। लता जी को क्रिकेट बहुत पसंद था – इंडियन टीम को सपोर्ट करतीं। उन्होंने अपना म्यूजिक लेबल LM म्यूजिक लॉन्च किया 2012 में। और हां, उन्होंने राज कपूर, दिलीप कुमार जैसे स्टार्स के लिए गाया, लेकिन कभी एक्टिंग नहीं की बाद में। एक बार उन्होंने 1974 में रॉयल अल्बर्ट हॉल में परफॉर्म किया – पहली इंडियन सिंगर! और उनकी बहन आशा से राइवलरी की अफवाहें, लेकिन वो कहतीं, “हम बहनें हैं, कॉम्पिटिशन नहीं।”
अंत में, कुछ सवाल आपसे
– आपका फेवरेट लता दीदी का गाना कौन सा है? क्या आपने कभी उनकी कोई लाइव परफॉर्मेंस देखी या सुनी? और लता जी की जिंदगी से क्या सीख मिली आपको? कमेंट्स में बताओ, हम सब पढ़ेंगे और डिस्कस करेंगे। ये हमारा परिवार है, तो शेयर करो, इंगेज रहो। और हां, ज्यादा जानकारी के लिए Taaza Jaankari पर विजिट करो – वहां और भी ट्रेंडिंग स्टोरीज इंतजार कर रही हैं। थैंक यू सबको, प्यार और सुरों के साथ!