कर्मचारियों की उम्मीदें vs 7वें वेतन आयोग का फैसला
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए “वेतन आयोग” हमेशा से बड़ी उम्मीदों का विषय रहा है। 7वें वेतन आयोग के दौरान भी पेंशन बढ़ाने की मांग ज़ोरों पर थी। कर्मचारियों ने आखिरी वेतन के 50% की बजाय 67% पेंशन और पारिवारिक पेंशन को 30% से 50% करने की गुजारिश की थी। लेकिन, आयोग ने इन मांगों को “वित्तीय असर” का हवाला देकर ठुकरा दिया।
क्या कहा था आयोग ने?
- पेंशन दरें बदलने से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा।
- वेतन संरचना में बदलाव से पेंशन अपने-आप बढ़ जाएगी।
- छठे आयोग के फॉर्मूले (आखिरी वेतन या 10 महीने के औसत का 50%) को जारी रखने का सुझाव दिया।
8वें वेतन आयोग से क्यों हैं नई उम्मीदें?
सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा बजट 2025 से पहले ही कर दी है। इस बार कर्मचारी संगठनों ने कुछ नए सुझाव दिए हैं:
- महंगाई भत्ता (DA) और वेतन को जोड़कर पेंशन कैलकुलेट करना।
- फिटमेंट फैक्टर को सभी ग्रेड के कर्मचारियों के लिए समान करना।
- पेंशन को 33 साल की सेवा से अलग करना, ताकि कम समय में रिटायर होने वालों को भी फायदा मिले।
चर्चा का केंद्र:
- NC-JCM (नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी) ने सुझाव दिया है कि 8वें आयोग में ग्रैच्युटी और पेंशन नियमों को फिर से देखा जाए।
- कर्मचारियों को उम्मीद है कि इस बार महंगाई और जीवनयापन की लागत को ध्यान में रखकर फैसले होंगे।
7वें आयोग से सबक: क्यों नहीं मिली पेंशन में बढ़ोतरी?
7वें वेतन आयोग ने पेंशन दरों को न बढ़ाने के पीछे ये तर्क दिए:
- वित्तीय दबाव: पेंशन बढ़ाने से सरकार पर सालाना हज़ारों करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ता।
- स्वचालित लाभ: वेतन बढ़ने से पेंशन भी बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, अगर बेसिक वेतन 20% बढ़ा, तो पेंशन भी उसी हिसाब से बढ़ेगी।
- समानता का सिद्धांत: पुराने और नए पेंशनरों के बीच फर्क न बढ़े, इसलिए दरें नहीं बदली गईं।
क्या बदल सकता है 8वें आयोग में?
- पेंशन फॉर्मूला: आखिरी वेतन के 50% की जगह औसत वेतन के आधार पर पेंशन तय हो सकती है।
- पारिवारिक पेंशन: वर्तमान में पति/पत्नी को मिलने वाली 30% पेंशन बढ़ाकर 50% किए जाने की मांग।
- महंगाई राहत: DA को पेंशन से सीधे जोड़ने की संभावना पर चर्चा।
विशेषज्ञों की राय:
- “सरकार को पेंशनरों की क्रय शक्ति बनाए रखने के लिए नए तरीके खोजने होंगे। महंगाई दर 6-7% है, लेकिन पेंशन में बढ़ोतरी सिर्फ 3-4% हो रही है।” — डॉ. राजेश वर्मा, अर्थशास्त्री।
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निवेशकों और कर्मचारियों के लिए सलाह:
- पेंशन पॉलिसी: अगर आप सरकारी नौकरी में हैं, तो अपनी पेंशन योजनाओं पर नज़र रखें। निजी सेक्टर के कर्मचारी NPS या अन्य रिटायरमेंट फंड्स में निवेश कर सकते हैं।
- सरकारी घोषणाओं का इंतज़ार न करें: अपनी बचत और निवेश को डायवर्सिफाई करें।
- सोच-समझकर कदम उठाएं: किसी भी वित्तीय फैसले से पहले प्रोफेशनल्स से सलाह लें।
(ध्यान रखें: यह लेख सिर्फ जानकारी देने के लिए है। निवेश या पेंशन से जुड़े फैसले अपनी रिसर्च और विशेषज्ञों की सलाह पर ही लें।)
क्यों है ये मुद्दा गरमा-गरम?
- देश में 1.2 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर इस आयोग के फैसलों का इंतज़ार कर रहे हैं।
- पेंशन नियमों में बदलाव से रिटायरमेंट प्लानिंग से लेकर पारिवारिक बजट तक सब प्रभावित होता है।
- 7वें आयोग के बाद 10 साल हो चुके हैं, और महंगाई ने क्रय शक्ति को काफी कम कर दिया है।
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नोट : यह जानकारी internet पर दी गई जानकारी के माध्यम से ली गई है। Source